Month: June 2022

Socrates’s salient warnings against democracy

Written by Avi Gupta Winston Churchill once famously said that democracy was ‘the worst form of government.’ He made a rather good point for, in so many ways, it is a flawed and unsatisfactory system. Churchill, of course, knew a lot about the subject; twice Prime Minister of Great Britain, a prolific author of political […]

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The necessity of Student Politics and activism in a democracy

Written By Gurmehar Kaur An Indian mind, at any given time, is subconsciously consumed with two things: Bollywood and politics.  In between college classrooms, library sessions for the assignment due, the big presentation for the meeting, the next chunk of manual duty, the next customer on your tea stall, and the next meeting to be […]

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तोफा कबूल करें

लेखक ज़ैद चौधरी सिर पे टोपी लाल हाथ में परचा है कमाल, सिब्बल का क्या कहना। ये तस्वीर और इसमें मुस्कुराते कपिल सिब्बल, सीना फुलाते अखिलेश पर यदि गौर किया जाए तो लगेगा बादशाह सलामत किस गर्व से नए सिपेसलार को नवाज़ रहे हैं।  इतिहास गवाह है गैर लोकतांत्रिक हुकुमतों में कुर्सी जाते ही जेल […]

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Bicycle: A ‘Novel’ Invention Like No Other

Written by Bhavya Bhardwaj Greetings for World Bicycle Day! The modern world has been a witness to millions of human inventions that have made life convenient and easier. To save time from walking, humans have by now made several innovations that have made traveling from one place to another super quick yet the invention of […]

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न पूरा रिश्ता संघ से, न सेकुलर ढंग से

असल जीवन में कभी कवि, कभी नेता की भूमिका निभाने वाले कुमार विश्वास पर किसी राजनीतिक पार्टी को इतना विश्वास न हुआ कि उनको कोई पद या जिम्मेदारी देता। एक उम्मीद थी कि शायद इस बार कांग्रेस की कश्ती में सवार होकर, वह राज्य सभा पहुंच जाएँ। लेकिन यह भी हो न सका और कुमार के साथविश्वास की कमी का इतिहास फिर दोहराया गया।

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कहानी 33 साल के उस शिक्षक की जिसके एक वोट ने इतिहास बना दिया।

लेखक प्रशांत शुक्ल देश को आज़ादी 1947 में मिली और 1950 में गणतंत्र स्थापित हुआ। लेकिन स्वतंत्र भारत की पहली अग्निपरीक्षा साल 1951-52 में तब हुई, जब सैकड़ों बरस की गुलामी के बाद आम चुनावों की जिम्मेदारी देश के कंधों पर पड़ी। इस चुनाव की प्रक्रिया साल 1948 से ही शुरू हो गई थी लेकिन […]

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‘आप’ अगर शिकारी है तो ‘शिकार’ कौन है ?

लेखक आशुतोष तिवारी आम आदमी पार्टी देश के लगभग हर राज्य में अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिश कर रही है। राजधानी दिल्ली में पार्टी राजनीतिक तौर पर नियंत्रक की भूमिका में है। पंजाब में आम आदमी पार्टी ने लगभग चौंकाती वाली संख्या के साथ सरकार बनाई है। पिछले निकाय चुनावों में, ख़ास तौर पर गुजरात […]

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देश की पहली बूथ कैप्चरिंग, जब गुंडों ने बैलेट बॉक्स कुएं में फेंक दिए थे।

लेखक: प्रशांत शुक्ला आज़ादी के बाद देश में पहला आम चुनाव 1951 में हुआ। यह चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हुआ और नेहरू आज़ाद हिंदुस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने। दूसरा चुनाव 1957 में हुआ। यह चुनाव देश के चुनाव आयोग के लिए चुनौतियों भरा था। देश के पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन की देखरेख वाला यह दूसरा […]

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