कहानी 33 साल के उस शिक्षक की जिसके एक वोट ने इतिहास बना दिया।

लेखक प्रशांत शुक्ल

देश को आज़ादी 1947 में मिली और 1950 में गणतंत्र स्थापित हुआ। लेकिन स्वतंत्र भारत की पहली अग्निपरीक्षा साल 1951-52 में तब हुई, जब सैकड़ों बरस की गुलामी के बाद आम चुनावों की जिम्मेदारी देश के कंधों पर पड़ी। इस चुनाव की प्रक्रिया साल 1948 से ही शुरू हो गई थी लेकिन इसे कानूनी जामा पहनाने में काफी समय लग गया और चुनाव 2 साल देरी से हुए। 1950 में चुनावी शर्तों और नियमों से जुड़ा पीपुल एक्ट तैयार किया गया, संसदीय सीटों और आरक्षण पर काफी माथापच्ची के बाद तय हुआ कि जनगणना के आधार पर देश में 497 सीटों पर चुनाव होंगे। आखिरकार 25 अक्टूबर 1951 का वो ऐतिहासिक दिन आया जब अपना नेता चुनने के लिए लोगों ने मतदान शुरू किया और दुनिया को संदेश दिया खुद के लोकतांत्रिक देश होने का। पहले आम चुनाव के लिए पूरे देश में वोटिंग परवरी 1952 में हुई लेकिन हिमाचल प्रदेश में ठंड, बर्फबारी और वहां की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए चुनाव आयोग ने वहां 6 महीने पहले वोटिंग कराई।

25 अक्टूबर 1951 को डाला गया था पहला वोट
वह कौन ख़ुशनसीब था जिसने आज़ाद हिंदुस्तान के पहले लोकतांत्रिक महापर्व में, पहली बार, पहली कतार के पहले वोटर के तौर पर ऐतिहासिक इबारत लिखी। यह लेख किसी नेता, चुनाव, आंकड़ों या सियासी किस्से से जुड़ा नहीं है। यह कहानी उस साधारण इंसान की है जो पहाड़ों की गोद में खेला, जिसने पहाड़ों पर ही पूरा जीवन बिताया और आज़ाद भारत के चुनावी इतिहास में जाने-अनजाने हमेशा के लिए अपना नाम दर्ज करा लिया, नाम था श्याम शरण नेगी। हिमाचल के किन्नौर जिले में जन्मे श्याम शरण नेगी ने भारत के पहले मतदाता के तौर पर अपना पहला वोट 25 अक्टूबर 1951 को डाला था।

पोलिंग पार्टी से पहले बूथ पर पहुंच गए थे श्याम शरण नेगी
जीवन के 104 बसंत देख चुके नेगी 1951 से लेकर अबतक संसदीय चुनावों में 18 बार वोट कर चुके हैं। पहले चुनाव के समय श्याम शरण किन्नौर के मूरंग स्कूल में अध्यापक थे। चुनाव करवाने में उनकी ड्यूटी शोंगठोंग के मुरंग में थी। उनका वोट पड़ना था उनके पैतृक गांव कल्पा में। आज़ाद भारत में पहली बार वोटिंग के रोमांच और जुनून की वजह से नेगी ने अपने अधिकारियों से इजाज़ात मांगी। अधिकारियों से कहा कि वह सुबह सुबह वोट करके ड्यूटी पर समय से पहुंच जाएंगे। श्याम शरण को मतदान की अनुमति मिली तो वह इतनी सुबह पोलिंग बूथ पहुंच गए कि पोलिंग पार्टी बाद में पहुंची। सुबह 6:15 बजे मतदान पार्टी पहुंची तो 33 साल के नेगी बतौर वोटर उनके सामने खड़े थे। बैलेट बॉक्स व्यवस्थित किए गए, बाकी तैयारियां पूरी की गईं। नेगी ने जल्दी मतदान करवाने का निवेदन किया। मतदान पार्टी ने रजिस्टर खोलकर उन्हें पर्ची दी और जैसे ही उनका मतपत्र बैलेट बॉक्स में गिरा वैसे ही इतिहास बन गया। श्याम शरण नेगी आजाद भारत के पहले मतदाता बन गए।

देश के सबसे उम्रदराज वोटर हैं नेगी
श्याम शरण नेगी अबतक 13 बार विधानसभा चुनावों के लिए और 18 बार लोकसभा चुनावों के लिए वोट कर चुके हैं। हाल ही में हुए हिमाचल प्रदेश के मंडी लोकसभा उपचुनाव में अपना वोट डाला। इतना ही नहीं वह देश के सबसे उम्रदराज वोटर के तौर पर भी जाने जाते हैं। श्याम शरण नेगी का जन्म 1917 को किन्नौर जिले के कल्पा गांव में हुआ था। वह 1940 से 1946 तक वन विभाग में बतौर गार्ड नौकरी करते थे। बाद में शिक्षा विभाग में चले गए और कल्पा लोअर मिडिल स्कूल में अध्यापक बने।
2010 में चुनाव आयोग के हीरक जयंती समारोह के अवसर पर तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला ने नेगी के गांव का दौरा किया और उन्हें मतदान करने के प्रचार अभियान का दूत घोषित किया। 2014 में गूगल इंडिया ने एक सार्वजनिक सेवा उद्घोषणा के रूप में उनका एक वीडियो बनाया जिसमें नेगी ने पहले चुनाव में अपनी भागीदारी के बारे में बताया और दर्शकों को मतदान के महत्व के बारे में जागरूक किया।

पहले आम चुनावों के 10 अहम तथ्य

  • 10.59 करोड़ लोगों ने अपने नेता को चुनकर इतिहास रचा था, इनमें में करीब 85% अशिक्षित थे।
  • तब हर पार्टी के लिए अलग बैलेट बॉक्स था, जिन पर चुनाव चिह्न छपे हुए थे।
  • इस चुनाव में स्टील के 20 लाख से ज्यादा बैलेट बॉक्स इस्तेमाल किए गए और 62 करोड़ मतपत्र छापे गए थे।
  • चुनाव के लिए 180 टन पेपर इस्तेमाल हुआ जिसके लिए पर 10 लाख रुपये खर्च हुए थे।
  • पहले चुनाव में लोकसभा की 497 और राज्य विधानसभाओं की 3283 सीटों के लिए मतदान हुआ था।
  • देश में 17 करोड़ 32 लाख 12 हजार 343 रजिस्टर्ड वोटर थे और कुल 68 फेज में वोटिंग हुई थी।
  • पहले लोकसभा चुनाव में प्रति वोटर 60 पैसे का खर्च आया था जो 2019 में बढ़कर 72 रुपये हो गया।
  • पहले चुनाव में 86 लोकसभा सीटों पर 2 सांसद और 1 सीट पर 3 सांसद चुने गए थे।
  • 364 सीटें जीतकर कांग्रेस ने सरकार बनाई थी और CPI 16 सीटों के साथ दूसरी बड़ी पार्टी बनी थी।
  • चुनाव में लगभग 1874 उम्मीदवारों और 53 पार्टियों ने हिस्सा लिया था।

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