तोफा कबूल करें

लेखक ज़ैद चौधरी

सिर पे टोपी लाल हाथ में परचा है कमाल, सिब्बल का क्या कहना। ये तस्वीर और इसमें मुस्कुराते कपिल सिब्बल, सीना फुलाते अखिलेश पर यदि गौर किया जाए तो लगेगा बादशाह सलामत किस गर्व से नए सिपेसलार को नवाज़ रहे हैं। 

इतिहास गवाह है गैर लोकतांत्रिक हुकुमतों में कुर्सी जाते ही जेल या मौत के रास्ते खुल जाते हैं। पर लोकतंत्र में ऐसा नहीं है, बल्कि इसमें कभी जेल जाने पर तो कभी जेल से बचाने पर आपको कुर्सी मिल जाती है। अब धीरे से खिसक के कांग्रेस से सपा में शामिल हुए कपिल सिब्बल हों या मायावती को कांग्रेस की तत्कालीन केन्द्र सरकार में बचाने वाले सतीश चंद्र मिश्रा, दोनों की सटीक उद्धरण हैं। पहले मिश्रा जी बाहर से बहन जी के वकील थे फिर पार्टी के अंदर आने के बाद तो बसपा को कानूनी सलाहकार भी मिल गया। कैसे जेल जाने से बचा जा सकता है, किस तरह फूंक-फूंक के क़दम रखना है! ताज कॉरीडोर का मामला हो या आय से अधिक सम्पत्ति का आरोप हो, कांग्रेस की सरकार हो या भाजपा की हुकूमत हो, सतीश मिश्रा के होते बहन जी की जांच भले ही जितनी भी होती रही हों पर उनपर आंच नहीं आ सकी। समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह के दौर में दिग्गज अधिवक्ता वीरेंद्र भाटिया सपा से राज्यसभा भेजे गए थे। मुलायम सरकार में वो सॉलिसिटर जनरल भी रहे। उनके देहांत के बाद उनके बेटे गौरव भाटिया को सपा ने कई ओहदों से नवाजा। 

अखिलेश यादव के जमाने में गौरव सपा छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। केंद्र और यूपी में भाजपा की सरकार हैं। यादव परिवार की फाइलें तमाम सरकारी एजेंसियों के पास हैं, सपा के दिग्गज नेता आज़म ख़ान और उनका परिवार जेल का दंश भुगत चुका है।  आज़म उम्र दराज़ हैं और गंभीर बीमार भी, फिर भी उन्हें जमानत पर जेल से बाहर आने के लिए दो साल से अधिक समय लग गया।

कभी कांग्रेस के नौ रत्नों में शामिल दिग्गज अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आज़म का केस अपने हाथ लिया और जमानत दिलवाकर वो काम कर दिया जो दो वर्षों तक कोई नहीं कर सका। लोग कह रहे हैं कि सपा ने कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेजने का फैसला करके एहसान का बदला एहसान से दिया। लेकिन सच ये भी है कि भाजपा सरकारों की एजेंसियों की जाचों की तलवारों का खौफ भरा एहसास समाजवादी यादव कुनबे को है। और पार्टी को कपिल सिब्बल जैसे विख्यात वकील, कानूनी जानकार और भाजपा की रग-रग से वाक़िफ राष्ट्रीय स्तर के राजनितिक शख्सियत की ज़रुरत भी थी। जबकि सपा और बसपा के सामने एक जैसे ख़तरे रहे हैं लेकिन बसपा के पास सतीश चंद्र मिश्रा थे लेकिन सपा के पास ऐसा कोई नहीं था। अब सपा के पास भी जेल जाने से बचाने और जमानतें कराने के लिए कपिल सिब्बल आ चुके हैं। तो ये कहना गलत नहीं होगा अदालत ने आज़म खान को रिहाई का, सपा ने सिब्बल को राज्यसभा का और सिब्बल ने कांग्रेस धोखे का तोफा दिया।

The views expressed in this article are those of the author and do not represent the stand of Youth in Politics.

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