Politics

Where is gender in political discussions?

There are many ways in which gender disparity manifests itself, including social stereotyping, domestic and societal violence, gender pay gaps, etc. It is not surprising that a large segment of our society experiences unequal or disadvantageous treatment based on gender. Considering the multilayered nature of Indian society, which includes class, caste, and urban and rural divides, the inequality and abuse women face differ due to their intersection with two or more of these factors. While Beti Bachao, Beti Padhao and many other schemes have surfaced to empower women in India, the big question I still feel is whether men in politics are ready to share the power with women?

Read More

Machiavellianism: An adjective?

“A prince cannot observe all those things for which men are considered good, for in order to maintain the state he is often obliged to act against his promise, against charity, against humanity, and against religion”- This is one of the famous quotes written by Niccolò Machiavelli in his book “The Prince”. The Prince is a short treatise that tells how to acquire power, create a state and keep it. This book represents Machiavelli’s effort to provide a guide for political action based on the lessons of history and his own experience as a foreign secretary in Florence. He used to believe that politics has its own rules which shocked his readers that the adjectival form of his surname, Machiavellian, came to be used as a synonym for political maneuvers marked by cunning, duplicity, or bad faith.

Read More

कर्पूरी ठाकुर – एक जननायक

24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर जिले के पितोंझिया गाँव में एक लड़के का जन्म हुआ नाम रखा गया कर्पूरी ठाकुर। जाति से नाई कर्पूरी ठाकुर पढाई में तेज़ थे और साथ ही राष्ट्रवादी विचारधारा से प्रभावित थे जिसके चलते उन्होंने अखिल भारतीय छात्र संघ की सदस्यता ली और भारत छोड़ो आंदोलन में भी भाग लिया।

Read More

अपनी-अपनी पुलिस, अपने-अपने पत्रकार…जैसी सरकार वैसे ‘थानेदार’

यूपी में मिड-डे मील की स्टोरी करने पर पत्रकार को डीएम की शिकायत पर जेल भेज दिया गया था। यूपी के बलिया में बोर्ड परीक्षाओं का पर्चा लीक करने की खबर चलाने पर 3 पत्रकारों को प्रशासन ने जेल भेज दिया था। जाने माने पत्रकार और फैक्ट चेकर मोहम्मद ज़ुबैर को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया और यूपी के सीतापुर पूछताछ के लिए लेकर गई। टीवी पत्रकार अमन चोपड़ा पर राजस्थान में मामला दर्ज किया गया। इससे पहले पत्रकार अर्णब गोस्वामी को महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेजा था। आपको याद होगा कि दिवंगत पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ हिमाचल में केस दर्ज हुआ था और उन्हें अगले दिन हिमाचल में कोर्ट के सामने पेश होने का समन जारी किया गया था। अब पत्रकार रोहित रंजन का मामला सामने आया है, जिसमें छत्तीसगढ़ पुलिस रायपुर में उन पर केस दर्ज किया और यूपी के गाजियाबाद में गिरफ्तार करने पहुंची थी।

Read More

वह दार्शनिक ,जो राजा और सैनिकों की शादी के ख़िलाफ़ था

‘जब तक दार्शनिक , राजा नहीं बन जाते या राजा , दार्शनिकों में नहीं बदल जाते तब तक दुनिया से बुराइयां मिटना सम्भव नहीं है |’ यह यूनानी दार्शनिक प्लेटो का मानना था । प्लेटो राजनीतिक दर्शन की दुनिया के गॉडफादर हैं – दुनिया के पहले राजनीतिक दार्शनिक, जिनका लिखा हुआ हम पढ़ सकते हैं । एक ऐसा चिंतक जिसका मानना था कि साम्यवाद सिर्फ संपत्ति का ही नहीं पत्नियों का भी होना चाहिये । हालाँकि उनके इस सिद्धांत की सबसे जबरदस्त आलोचना उनके चेले अरस्तु ने ही की है। जानिये , प्लेटो के उन पांच सिद्धांतों के बारे में जिनकी चर्चा सिर्फ दर्शनशास्त्र पढने वालों के बीच सिमट कर रह जाती है ।

Read More

कांग्रेस का साथ और नेशनल हेराल्ड, क्या है विवाद?

कुछ दिनों पहले कांग्रेस नेता और वायनाड से सांसद राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी को प्रवर्तन निदेशालय ने समन जारी किया था । प्रवर्तन निदेशालय ने मनीलॉन्डरिंग निवारण कानून की आपराधिक धाराओं के तहत उनके बयान दर्ज किए ।यह जांच नेशनल हेराल्ड नामक ‘अखबार के ज़रिए हुई वित्तीय अनियमितताओं’ से जुड़ी है।यह मामला सबके सामने आया सन् 2012 में, जब भारतीय जनता पार्टी के नेता और वकील सुब्रमयणम स्वामी ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष एक शिकायत दर्ज करते हुये कांग्रेस नेताओ पर धोखाधड़ी और विश्वासघात के आरोप लगाये थे।

Read More

The Brazen ‘Bulldozing’ of Democratic and Constitutional Guarantees

The ‘spectacle’ of despair and helplessness ran continuously on the TV screens as the media captured the frenzy and hysteria of the people whose homes and hopes were blatantly ‘razed to dust’. This has been an unprecedented development in the democratic history of India, where the constitutional guarantees granted to citizens were blatantly crushed in broad daylight by an ‘agitated administration’ which conveyed the message that anyone who dares to stand up against the politics of the ruling dispensation, should be ready to pay the price for it.

Read More

Denial of First Step to Justice

The police authorities have an important contribution to the holistic development of a country, as they play a big role in maintaining law and order in society. Approaching the police is the first step people take when a crime occurs and the Police are expected to uphold the rights of the citizens impartially. While filing an FIR is the first step in seeking justice, sometimes the police itself becomes a barrier in filing the FIR.

Read More

‘नील का दाग’, पहले सत्याग्रह का सफल प्रयोग और चंपारण का ज़िद्दी किसान

लेखक: प्रशांत शुक्ला यह देश गांधी और उनके विचारों के बिना अधूरा है। इसमें कोई अतिशंयोक्ति नहीं कि गांधी हिंदुस्तान की आज़ादी के सबसे बड़े नायक थे लेकिन दक्षिण अफ्रीका से लौटे बैरिस्टर एमके गांधी महात्मा कैसे बने, गांधी के जीवन वृतांत की यह अपने आप में एक ऐतिहासिक यात्रा है। लेकिन आज हम बात […]

Read More

बगावत का फल बीजेपी के लिए मीठा है !

एकनाथ शिंदे की ताजपोशी हो गई और वह महाराष्ट्र के 20वें मुख्यमंत्री बन चुके हैं। इसी के चलते महाराष्ट्र में चल रही राजनीतिक उठापटक भी शांत हो गयी है। सत्ता की कुर्सी इर्द-गिर्द रचे गए इस पूरे घटनाचक्र में बीजेपी केंद्र में रही। लेकिन सवाल यह है कि शिवसेना के दो खंड करने और मुख्यमंत्री की कुर्सी ठाकरे परिवार के नीचे से खींचने में भाजपा को क्या मिला।

Read More