Month: July 2022

The Brazen ‘Bulldozing’ of Democratic and Constitutional Guarantees

The ‘spectacle’ of despair and helplessness ran continuously on the TV screens as the media captured the frenzy and hysteria of the people whose homes and hopes were blatantly ‘razed to dust’. This has been an unprecedented development in the democratic history of India, where the constitutional guarantees granted to citizens were blatantly crushed in broad daylight by an ‘agitated administration’ which conveyed the message that anyone who dares to stand up against the politics of the ruling dispensation, should be ready to pay the price for it.

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Denial of First Step to Justice

The police authorities have an important contribution to the holistic development of a country, as they play a big role in maintaining law and order in society. Approaching the police is the first step people take when a crime occurs and the Police are expected to uphold the rights of the citizens impartially. While filing an FIR is the first step in seeking justice, sometimes the police itself becomes a barrier in filing the FIR.

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‘नील का दाग’, पहले सत्याग्रह का सफल प्रयोग और चंपारण का ज़िद्दी किसान

लेखक: प्रशांत शुक्ला यह देश गांधी और उनके विचारों के बिना अधूरा है। इसमें कोई अतिशंयोक्ति नहीं कि गांधी हिंदुस्तान की आज़ादी के सबसे बड़े नायक थे लेकिन दक्षिण अफ्रीका से लौटे बैरिस्टर एमके गांधी महात्मा कैसे बने, गांधी के जीवन वृतांत की यह अपने आप में एक ऐतिहासिक यात्रा है। लेकिन आज हम बात […]

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बगावत का फल बीजेपी के लिए मीठा है !

एकनाथ शिंदे की ताजपोशी हो गई और वह महाराष्ट्र के 20वें मुख्यमंत्री बन चुके हैं। इसी के चलते महाराष्ट्र में चल रही राजनीतिक उठापटक भी शांत हो गयी है। सत्ता की कुर्सी इर्द-गिर्द रचे गए इस पूरे घटनाचक्र में बीजेपी केंद्र में रही। लेकिन सवाल यह है कि शिवसेना के दो खंड करने और मुख्यमंत्री की कुर्सी ठाकरे परिवार के नीचे से खींचने में भाजपा को क्या मिला।

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जाति न पूछो साधू की …..

जाति न पूछो साधू की, पूछ लीजिए ज्ञान, भारत में सियासत के लिए इस बात के कुछ मायने नहीं हैं| ऐसा लगता है कि ये ज्ञान सिर्फ और सिर्फ स्कूल की किताबों के लिए है, असल जिंदगी में सियासत ही सब कुछ है जो फिलहाल कह रही है कि सबसे पहले जाति ही पूछो और वो भी सबकी। हाल के समय में यह विषय सर्वाधिक विवाद में रहा है। जाति और आरक्षण संबंधी पुरानी बहसों की तरह ही इसमें भी स्पष्ट खांचें बने हुए हैं ।

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न बचा सके अखिलेश: आज़मगढ़ और आज़म का गढ़

2019 के आम चुनाव में मिली हार का हिसाब, आजमगढ़ और रामपुर में बीजेपी ने अखिलेश यादव से बराबर कर लिया है। और योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद उपचुनावों में मिली हार की कसक भी मिटा ली है। आजमगढ़ में बीजेपी उम्मीदवार दिनेश लाल यादव उर्फ़ निरहुआ और रामपुर में घनश्याम सिंह लोधी ने अपनी अपनी सीटें पर जीत हासिल की हैं।

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