अगर आप युवा हैं और राजनीति से निराश हैं तो ये ब्लॉग आपके लिए है । यूथ और पॉलिटिक्स (भाग-1)

लेखक आशुतोष तिवारी 

अगर आप युवा हैं और राजनीति से निराश हैं तो ये ब्लॉग आपके लिए है । 

यूथ और पॉलिटिक्स । दोनों ही कमाल के शब्द हैं और एक दूसरे के सहयोगी भी ,   लेकिन हैरानी की बात यह है कि  दोनों  का इस्तेमाल एक दूसरे के ख़िलाफ़ किया गया है । राजनीति का युवाओं के विरुद्ध । युवाओं का राजनीति के ख़िलाफ़ । कैसे ? आज युवाओं का लगता है कि राजनीति विरासती लोगों , अमीरों और अपराधियों का काम है । जबकि राजनीति का सम्बंध  है अपने आसपास की समस्याओं को समझने और उनके समधान के लिए ज़रूरी नेतृत्व से  । इस तरह युवाओं के मन में जो यह ग़लत  धारणा बनी है ,इससे राजनीति का बहुत नुक़सान हुआ है । इस काम में क़ाबिल और उत्साह से भरे युवा  आने से बच रहे हैं । दूसरी तरफ़ युवाओं के ख़िलाफ़ जिस गंदी राजनीति का इस्तेमाल किया गया है , वह हम आसानी से अपने आसपास देख सकते है । कई युवा जो राजनीति में है , वह सिर्फ़ धार्मिक उन्माद , बड़े नेताओं की चापलूसी , स्थानीय हिंसा और कम समय में किसी तरह  नाम हो जाने की कुंठा को ही राजनीति समझ बैठे हैं । ज़ाहिर है , यह दोनो शब्द एक दूसरे के सहयोगी होने चाहिए ,लेकिन यह अब एक दूसरे के विरोधी  कर दिए  गए हैं । 

डेटा चौंकाता है 

आँकड़ो के मुताबिक़ भारत दुनिया का सबसे युवा देश  है। 2011 की जनगणना के अनुसार 25 वर्ष तक की आयु वाले लोग कुल जनसंख्या का 50 फ़ीसदी  हैं। दुनिया के दूसरे मुल्कों के मुक़ाबले भारत की औसत आयु  कम हो रही है लेकिन हैरानी की बात कि  यहाँ के सांसदों की औसत आयु दूसरे देशों के मुक़ाबले बढ़ती जा रही है । इटली , डेनमार्क , फ़्रान्स में युवा नेताओं की संख्या  जहाँ संसद में क्रमशः 59%, 49% और  37% हैं , वही भारत की संसद में केवल 20% युवा (18-45) बैठते  हैं । पहली लोकसभा में सांसदों की औसत आयु 47 वर्ष थी । यह कम होने की बजाय 2019 में बढ़ कर 57 साल हो गयी है । यह डेटा चौंकाने वाला है । हम एक ऐसे युवा देश हैं जहाँ राजनीति ज़्यादातर उम्रदराज़ लोगों के ज़िम्मे है।

राजनीति में क्यों नही आ रहे हैं  युवा 

यूथ इन पॉलिटिक्स के कई  इवेंट्स के दौरान मुझे तमाम  युवा साथियों से बात चीत करने का मौक़ा मिला । कई युवाओं ने कहा कि राजनीति करने के लिए अब बहुत पैसे की ज़रूरत पड़ती है  । कई युवाओं ने राजनीति से निराशा जताते हुए बताया  कि अब आम युवा के लिए राजनीति करना मुश्किल है ।  पहले से जमे हुए लोग ,युवाओं को मौक़ा नही देना चाहते । वह आख़िरी -आख़िरी तक सिर्फ़ कार्यकर्ता बना कर अपनी सेवा कराना चाहते हैं ।ज़्यादातर युवा वंशवाद , पूँजी का बोलबाला  ,करियर की चिंता और राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण की वजह से निराश दिखे । लेकिन सभी युवा लगभग इस बात से सहमत थे कि राजनीति में युवाओं के लिए मार्गदर्शन का अभाव है और भारत में किसी भी एक ऐसे जाने -माने मंच की कमी है ,जहाँ युवा राजनीति की बारीकियाँ  सीख सकते हैं । ज़ाहिर है कि  परम्परागत नेताओं को उनको सिखाने -बढ़ाने में कोई रुचि नही है।

‘यूथ इन पॉलिटिक्स’  का विचार कैसे आया 

जब राजनीति में युवाओं का रास्ता वंशवाद , पूँजी और बैकग्राउंड से जुड़ी  चिंताओं ने रोक रखा है , तब ऐसे माहौल में युवाओं को जगह बनाने के लिए मार्गदर्शन की ख़ास ज़रूरत है । ऐसा गाइडिंग मंच , जिस पर युवा विश्वास कर सकें ,जो युवाओं को समझ सके  , उनकी ज़रूरतों के हिसाब से उन्हें गाइड कर सके । राजनीति को कीचड़ समझ कर इसमें युवाओं की घटती दिलचस्पी और निराश होते युवा नेतृत्व को देख कर ही ‘यूथ इन पॉलिटिक्स’ सबसे पहले एक विचार के रूप में सामने आया । प्रशांत किशोर की यह एक ऐसी मुहिम है जिसका  पहला उद्देश्य है  , राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले और उसे सीखने – समझने वाले इक्षुक युवाओं को एक वन स्टॉप  मंच प्रदान करना । दूसरा कि , उन्हें सक्रिय राजनीति में भाग लेने और साथ ही अपने राजनीतिक करियर को शुरू करने के लिए आसानी से मार्गदर्शन मिल सके । I-PAC  ने इस अनूठी पहल को ज़मीन पर उतारने का संकल्प लिया है ।  आज YIP  के लाखों रजिस्ट्रेंट्स है और 11 हज़ार के आसपास हमारे साथ मिलकर राजनीति को ऑनलाइन और ज़मीन पर समझने और सीखने का काम कर रहे हैं ।YIP अपने काम की दृष्टि से इस तरह का पहला और इकलौता मंच बन कर उभर रहा है ,जो राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले युवाओं को इसे सीखने का मौक़ा दे रहा है ।

यूथ इन पॉलिटिक्स इस विचार को आकार कैसे देगा ?

जिन लोगों ने YIP की पहल में अपनी रुचि दिखाई है  ,उस पूल  तीन तरह के लोग हैं  । जुड़ने वाले युवाओं की आकांछाओं के आधार पर हमने देखा ,तीन तरह के युवा YIP के साथ दलचस्पी दिखा रहे हैं ।YIP ने  हर वर्ग की आकांक्षाओं के लिहाज़ से अलग- अलग प्रोग्राम  डिज़ाइन किए हैं और उन्हें क्रियान्वित करने का प्रयास लगातार  किया जा रहा है । 

1 – वे युवा ,जो राजनीति में करियर नहीं  बनाना चाहते यानी जिन्हें सीधे -सीधे चुनाव नही लड़ना है ,लेकिन राजनीति में दिलचस्पी रखते हैं । वह  अपने जिले और राज्य के मुद्दे एक जागरूक नागरिक की तरह किसी मंच पर उठाना चाहते हैं । सार्वजनिक स्पेस में ऐसे योग्य युवाओं को अपनी बात रखने का मौक़ा नहीं  मिल रहा है । ऐसे युवाओं के लिए YIP एक ऐसा मंच बन कर उभर रहा है , जहाँ वह अपने जैसे युवाओं और सार्वजनिक स्पेस में अपनी बात रख सकें । YIP हर हफ़्ते  राज्यवार पैनल डिस्कशन ,फ़ेसबुक  लाइव और अपने सोशल मीडिया प्लेट फ़ार्म के ज़रिए युवाओं को अपनी बात रखने का मौक़ा दे रहा है । इससे न सिर्फ़ वह  अपनी बात रख पा रहे हैं बल्कि राजनीति के प्रति उनकी समझ और दिलचस्पी बढ़ रही है ।

2 – युवाओं का एक वर्ग ऐसा है ,जिसे राजनीति का क्षेत्र काम -काज के तौर पर पसंद है । राजनीतिक कैम्पेनिंग में रुचि है लेकिन इसे सीखने और ज़मीन पर उतारने के लिए कोई मार्गदर्शन नही मिल रहा है । यह लोग भले ही भविष्य में चुनाव न लड़े लेकिन राजनीति को कैम्पेनिंग  के लिहाज़ से समझ कर पेशेवर तरीक़े से काम करना चाहते हैं । YIP इसके लिए फ़ेलोशिप प्रोग्राम  कराता है । 18 से 45 वर्ग का कोई भी युवा वेबसाइट और YIP  एप के ज़रिए ख़ुद को रजिस्टर कर सकता है । IPAC की लीडरशिप के साथ जिताऊ कैम्पेन रणनीतियाँ बनाने में कई युवा इस प्रोग्राम के ज़रिए राजनीतिक कैम्पेनिंग का ज़मीनी अनुभव ले रहे हैं ।

3 –  युवाओं का एक ऐसा वर्ग भी है ,जो राजनीति में न सिर्फ़ रुचि रखता है ,बल्कि उन्हें सीधे चुनावी राजनीति में उतरना है या उतर चुके हैं । हलांकि मार्गदर्शन के अभाव से उन्हें मेहनत के मुताबिक़ सफलता नही मिल रही है । इन युवाओं को राजनीतिक कैम्पेनिंग के महत्व और उसकी  बारीकियाँ सीखनी है । YIP इनके लिए न सिर्फ़ ज़ूम और फ़ेसबुक पर वीकली लर्निंग  प्रोग्राम चला रहा है ,बल्कि जल्द ही YIP की वेबसाइट पर चुनावी कैम्पेनिंग के सभी ज़रूरी बिंदुओं पर लर्निंग  माड्यूल अपलोड किए जाएँगे ,जिन्हें युवा आसानी से अपनी अब तक अर्जित  की गयी  समझ के आधार पर कस्टमाइज़ कर  सीख सकता है । ग्राउंड  पर भी YIP ने अब तक कई इवेंट आयोजित किए हैं ,जहाँ डेटा ,सोशल मीडिया और कैम्पेनिंग की बारीकियां युवाओं से सीधे -सीधे जुड़ कर सिखाई जा रही हैं । 

YIP युवाओं को सीखने के  नए मंच और अवसर दे रहा है ।

युवाओं को राजनीति के प्रति नकारात्मक भाव से बचाने और ऐसे माहौल में आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शित करने के लिए YIP नए -नए तरीक़े निकाल रहा है । जैसा कि आप जानते हैं कि यह प्रशांत किशोर की एक मुहिम है, जिसका उद्देश्य ज़्यादा से ज़्यादा युवाओं को राजनीति से जोड़ना और उन्हें हर स्तर पर चुनाव लड़ने के लिए मार्गदर्शन देना है । प्रशांत किशोर पहले भी YIP के युवाओं से बातचीत करते रहे  हैं और उनके सवालों का जवाब देते रहे हैं । ऑनलाइन और ऑफलाइन इवेंट के बाद प्रशांत किशोर ने स्वयं बिहार में अपनी शुरू की गई मुहिम ‘जन सुराज’ के ज़रिए युवाओं को अपने साथ जुड़ने की अपील की है । YIP के कई युवा आज ऑनलाइन और ऑफलाइन इस मुहिम के साथ जुड़ कर राजनीति की दुनिया में नए अनुभवों से गुज़र रहे हैं । YIP के युवाओं के लिए जन सुराज राजनीति  को ‘र’ से समझने के लिए अपनी तरह का पहला  शिक्षण केंद्र बन सकता है । 

(नोट : इस ब्लॉग में भाग -2 में इस बात की चर्चा होगी कि  भारत के , ख़ास तौर से बिहार के युवा जन सुराज मुहिम से क्यों जुड़े ? वह किस -किस स्तर पर इस मुहिम से  जुड़ सकते हैं ।  ज़मीन पर  राजनीति ,आंदोलन ,इवेंट ,संगठन , सामूहिक योजना ,कैम्पेन प्लानिंग  आदि को बारीकी से बिल्कुल शुरुआती स्तर पर किस तरह जन सुराज से जुड़ कर समझा ,सीखा और अनुभव किया जा सकता है ।   )

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