उबर पर एक ख़तरनाक रिपोर्ट आई है । बुक करने से पहले पढ़ लीजिए ।

लेखक आशुतोष तिवारी

एक बड़ी कम्पनी है उबर । मोबाइल एप के ज़रिए आम लोगों का टैक्सी यानी कैब मुहैया कराने का काम है इसका । भारत सहित दुनिया के कई देशों में इसके कारोबार हैं ।देखा गया है कि बड़ी कम्पनियाँ कई दफ़ा बड़ी ग़लतियाँ करती हैं और अपनी बड़े होने की ज़िम्मेदारी से भागती रहती है । उबर ने भी यही किया है । ‘उबर फ़ाइल्स’ नाम से एक रिपोर्ट आई है । इस रिपोर्ट ने कई हैरान करने वाले सवाल खड़े किए हैं । रिपोर्ट की मोटा -मोटी बातें हम आपको सरल भाषा में बता रहे हैं –

1- रिपोर्ट का सार यह है कि दुनिया भर के बाजारों में आक्रामक रूप से अपनी बढ़त बनाने के लिए कम्पनी ने कई अनैतिक तरीक़ों का इस्तेमाल किया है ।

2 – भारत में जब 2014 में उबर कार में एक महिला से रेप की घटना हुई ,उसकी जाँच के दौरान उबर ने अपनी टीम से कहा -” सरकार जो कर रही है ,उसे करने दो । कोई जानकारी माँगे तो इग्नोर करो । कुछ भी बात करने से पहले उबर ऑफ़िस से परमिशन लो । इस घटना को भूल जाओ और मार्केट पर फ़ोकस करो ।” यहाँ तक कि ये भी पता चला है कि उबर ने उस दौरान भले ही सरकार के साथ ख़ुद को बहुत सहयोगी की तरह दिखाया है लेकिन असल में उसने अपना सिस्टम बंद कर दिया था ।

3 – विकास शील देश और विकसित देश – इन देशों में श्रम और टैक्सी से जुड़े कुछ ज़रूरी क़ानून हैं । उबर चाहता था कि अगर उसको बिज़नेस करना है तो इन क़ानूनों में फेरबदल होना चाहिए । इसके लिए उबर ने कई राजनीतिक हस्तियों की लाबिंग की । उन्हें अपने पक्ष में लिया । इस सर्किल में इज़राय के नेतन्याहू , यूएस के बाइडेन और फ़्रान्स के मेक्रोन तक शामिल हैं ।

4 – कई जगहों पर काम करने के लिए लाइसेंस और परमिट लेने से जुड़े नियमों की धज्जियाँ उड़ाई गयीं ।जब इसके लिए लोकल सरकारों ने कानूनी जांच बिठाई तो उसे असफल कराने के लिए स्टेल्थ तकनीक का इस्तेमाल किया । स्टेल्थ तकनीक का मतलब है तथ्यों को इस तरह छिपाना कि टेक्निकली जाँच एजेंसी के लिए कोई जानकारी उपलब्ध ही न हो ।

5 – जाँच से बचने के लिए उबर ने एक अंदरूनी प्रोटोकॉल बनाया – किल स्विच । यह बहुत ही ख़तरनाक योजना थी । इसमें उबर सर्वर तक पहुंच को ही कम कर दिया जाता है । मेन आफिस से लोकल आफिस की बात ही नही हो पाती ,जिससे जाँच में दिक्कत होती है । इस तरह कम से कम छह देशों में छापे के दौरान अधिकारियों को सबूत हासिल करने से रोका गया।

6- उबर ने फ्रांस में अपने ड्राइवरों को विरोध प्रदर्शन में भेजने की रणनीति अपनाई। उस दौरान उबर को आगाह किया गया था कि प्रदर्शनों के दौरान ड्राइवरों को हिंसा का शिकार होना पड़ सकता है। इसके जवाब में कहा गया – ‘मेरी राय में ऐसा होने देने चाहिए। हिंसा से सफलता सुनिश्चित होती है।’

7- कंपनी ने अपने मुनाफे को बरमुडा और अन्य टैक्स हेवन के जरिए भेजकर लाखों डॉलर की कर चोरी भी की। अमेरिका में 500 महिला पैसेंजरों ने उस पर केस किया है । इन महिलाओं ने आरोप लगाया है कि उबर के ड्राइवरों ने सफर के दौरान उनके साथ जोर जबरदस्ती की।

खोजी पत्रकारों का एक गैर-लाभकारी नेटवर्क है – इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट । इसने ही उबर के आंतरिक दस्तावेज, ईमेल, इनवॉइस और अन्य दस्तावेजों की छानबीन की है । इस रिपोर्ट और ऊबर से संबंधित दस्तावेजों को सबसे पहले ब्रिटिश अखबार द गार्जियन में लीक किया गया ।अब यह सबके सामने है ।

आज (25 अगस्त ) के इंडियन एक्सप्रेस में इस पर बातचीत भी प्रकाशित की है । जिसने ‘उबर के ये कारनामे’ उजागर किए हैं, वह ख़ुद उबर के यूरोप में लाबिंग आपरेशन के हेड रहे थे । उबर ने इस रिपोर्ट पर कहा है , ‘‘हमने अतीत की उन हरकतों के लिए कोई बहाना नहीं बनाया है और न ही बनाएंगे। इसके बजाय हम लोगों से यह कहते हैं कि वे पिछले पांच वर्षों की हमारी गतिविधियों के आधार पर हमारा मूल्यांकन करें।’’

उबर कुछ भी कहे पर भारत जैसे देश के लिए यह चिंता की बात है । ख़ास तौर से महिलाओं की सुरक्षा और किल स्विच जैसी योजना को लेकर । बड़ी कम्पनियाँ अधिकतर विकासशील देशों में अपनी बढ़त बनाते हुए नियमों की अनदेखी करती हैं ।

Ashutosh Tiwari

अपने विषय में बताना ऐसा लगता है, जैसे स्वयं को किसी अजनबी की तरह देख रहा होऊँ । लेकिन ख़ुद को अजनबी की तरह देखना ही हमें ईमानदार बनाता है। नाम आशुतोष तिवारी है । कानपुर से हूँ। शुरुआती पढ़ाई हुई होम टाउन से। फिर पत्रकारिता से स्नातक की पढ़ाई करने दिल्ली आ गया। 2016 में IIMC में डिप्लोमा किया और आ गया IPAC । चार साल यानी 2020 तक यहीं रहा। मीडिया फ़ील्ड डेटा, PIU और लॉजिस्टिक आदि लगभग सभी गलियारों में घूमा और 2020 में चला गया हिंदी से मास्टर और JRF करने। अब फिर से 2021 में वापस आ गया हूँ। एक यूट्यूब चैनल है। हिंदी साहित्य में ख़ास रुचि है। किताबें पढ़ना, फ़िल्में देखना पसंद है।

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